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हजारीबाग से कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे चल रहा है 14 मालगाड़ियां ,
हज़ारीबाग़ से कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे चला रहा है 14 मालगाड़ियां..
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हजारीबाग से कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे चल रहा है 14 मालगाड़ियां ,

9 साल से लंबी दूरी की ट्रेन का लोगों को है इंतजार

240 करोड़ कमाई करने वाले रेलवे स्टेशन से नहीं चलती है लंबी दूरी की एक भी ट्रेन

धुलाई के लिए पूरे मंडल में हजारीबाग स्टेशन को मिल चुका है ओवरऑल चैंपियन का खिताब

240 करोड़ कमाई करने वाले रेलवे स्टेशन से नहीं चलती है लंबी दूरी की एक भी ट्रेन

महीने में 240 करोड रुपए से अधिक की आमदनी होती है हजारीबाग टाउन रेलवे स्टेशन से लेकिन एक भी ट्रेन यहां से नहीं खुलता । हजारीबाग टाउन स्टेशन से कोयले की ढुलाई के लिए प्रतिदिन 14 मालगाड़ियां देश के विभिन्न हिस्से में जाती हैं ।

एनटीपीसी के 22 में से 18 बिजली संयंत्र को कोयला हजारीबाग टाउन स्टेशन से भेजा जाता है । प्रत्येक दिन 8 करोड रुपए से अधिक की आमदनी रेलवे को कोयले की ढुलाई से यहां से होती है । वही महीने की बात करें तो 240 करोड रुपए से ऊपर की आमदनी सिर्फ हजारीबाग टाउन स्टेशन से हो रही है बता दे कि हजारीबाग टाउन स्टेशन को कोयले की ढुलाई के लिए पूरे मंडल में ओवरआल चैंपियन का खिताब मिल चुका है ।

बताया गया है कि आज रेलवे 14 मालगाड़ियां कोयले की ढुलाई के लिए चल रहा है उसकी संख्या प्रतिदिन 25 तक बढ़ाने की योजना है रेलवे के सूत्र बताते हैं की सिंगल लाइन होने के कारण मालगाड़ियों से कोयले को भेजने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन ट्रैक की दोहरीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है ऐसा जानकार बताते हैं अब दूसरे पहलू की चर्चा करते हैं जो जाती सेवाओं से जुड़ा हुआ है।

यहां से लंबी दूरी की ट्रेन शुरू करने को लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने आवाज बुलंद की है आंदोलन भी किए हैं ज्ञापन भी दिए हैं लेकिन पिछले 9 वर्षों में जब से इस लाइन की शुरुआत हुई है रेलवे ने एक भी लंबी दूरी की ट्रेन किस रास्ते नहीं दिया है जबकि 2 साल के भीतर गोड्डा जैसे स्टेशन को करीब एक दर्जन ट्रेन मिल चुकी है हजारीबाग झारखंड के बड़े शहरों में से एक है बड़ा शैक्षणिक और प्रशासनिक केंद्र है सीमा सुरक्षा बल झारखंड पुलिस अकादमी विनोबा भावे विश्वविद्यालय पुरी भारत में प्रतिष्ठित संत कोलंबस महाविद्यालय और मंडलीय कार्यालय यहां अवस्थित हैं । केंद्र सरकार के कई बड़े कार्यालय भी यहां हैं लेकिन रेल नेटवर्क के मामले में या शहर बहुत कमजोर और पिछड़ा है हजारीबाग शहर पर करीब आसपास के 20 लाख आबादी निर्भर करती है इतनी बड़ी आबादी इतने महत्वपूर्ण संस्थान इस शहर में अवस्थित है प्रति माह 240 करोड़ की आमदनी यहां का स्टेशन दे रहा है इन सब बातों को नजरअंदाज कर दिया गया है

लंबी दूरी की ट्रेन की बात छोड़ दीजिए कोडरमा और बरकाकाना के मध्य चलने वाले जोड़ी पैसेंजर ट्रेन को रांची तक विस्तार रेलवे ने नहीं दिया कोडरमा रांची रेल लाइन बनने के बाद उसका विस्तार रांची तक हो जाना चाहिए था उसे पर भी रेलवे ने पिछले दो वर्षों से कोई पहल नहीं की है इन दोनों ट्रेनों का विस्तार अगर रांची तक हो जाता है तो छोटे-छोटे हाल गांव कस्बे और रूट के बड़े शहर राजधानी रांची से जुड़ जाते हैं वहीं दूसरी ओर इंटरसिटी ट्रेन जो पहले सप्ताह में 7 दिन चलती थी जब से इसका विस्तार आसनसोल तक कर दिया गया है सप्ताह में 5 दिन ही चल रही है जबकि इस ट्रेन में यात्रियों की कोई कमी नहीं है हजारीबाग टाउन होकर एक बंदे भारत भी चलती है जो बिहार के राजधानी पटना से झारखंड की राजधानी रांची को जोड़ती है लेकिन दिल्ली मुंबई कोलकाता बेंगलुरु आदि शहरों के लिए हजारीबाग टाउन स्टेशन से एक भी ट्रेन पिछले 9 वर्षों में रेलवे ने नहीं दी है । हजारीबाग टाउन स्टेशन में ही कोच मेंटेनेंस डिपो का शिलान्यास 2019 में किया गया था लेकिन इसके बारे में अभी किसी को कोई जानकारी ही नहीं है स्टेशन का परिसर आकर्षक और बाद जरूर है लेकिन सुविधा बहुत कम है ।

अपनी प्राथमिकताओं में रेल सुविधाओं के विस्तार को निरंतर गिनते भी रहते हैं ऐसे में उम्मीद बनती है कि पिछले 9 साल से सिर्फ इंतजार कर रही जनता को न सिर्फ लंबी दूरी की ट्रेन यहां से मिलेगी बल्कि हजारीबाग टाउन होकर चलने वाली दोनों पैसेंजर ट्रेनों का विस्तार रांची या हटिया तक होगा पुराने कोच वाले रेट को बदल करके इसमें मेमू कोच वाले रेट लगाए जाएंगे साथ ही इंटरसिटी ट्रेन भी सातों दिन चलेगी।

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