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बरही की बेटी आस्था बनी आईएएस, यूपीएससी में 354वां रैंक हासिल कर किया क्षेत्र का नाम रोशन

आशीष यादव की रिपोर्ट

समाज में अपना योगदान देने के उद्देश्य से यूपीएससी की तैयारी शुरू की, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना होगी हमारी प्राथमिकता : आस्था शरण

बरही:-बरही प्रखंड के जरहिया गांव की बेटी आस्था शरण ने अपने दृढ़ संकल्प, कठिन परिश्रम और अथक प्रयास से वह मुकाम हासिल किया है, जिसकी तमन्ना देश के लाखों युवा करते हैं। संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 2024 में उन्होंने ऑल इंडिया 354वीं रैंक हासिल कर न सिर्फ अपने गांव और परिवार का, बल्कि पूरे हजारीबाग का नाम रोशन कर दिया है। आस्था शरण एयरफोर्स से सेवानिवृत्त शिव शरण की इकलौती बेटी हैं। उनके दादा दिनेश यादव जरहिया गांव के प्रतिष्ठित नागरिक हैं, जबकि उनके चाचा शशि भूषण यादव और शम्भू शरण यादव भी समाज में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। आश्था की सफलता से पूरे परिवार में हर्ष का माहौल है, वहीं गांव में भी जश्न का माहौल है। आस्था की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय, चंडीगढ़ में हुई। उन्होंने यहीं से मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान आईआईटी बीएचयू से उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। कॉलेज के दौरान ही उनका कैंपस सिलेक्शन हुआ, जहां उन्होंने दो वर्षों तक वर्क फ्रॉम होम के माध्यम से सेवाएं दीं। हालांकि इंजीनियरिंग और नौकरी की राह पर सफल होने के बावजूद, आस्था का सपना था भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना। इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने दिल्ली में एक वर्ष तक पूरी निष्ठा से यूपीएससी की तैयारी की। पहले प्रयास में वे महज 9 अंकों से असफल रहीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए देशभर में 354वीं रैंक प्राप्त की। आस्था की इस ऐतिहासिक उपलब्धि से जरहिया गांव, बरही प्रखंड और संपूर्ण हजारीबाग में खुशी की लहर है। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह सिर्फ आस्था की चर्चा है। लोग गर्व से उनका नाम ले रहे हैं और उन्हें आने वाले प्रशासनिक जीवन के लिए शुभकामनाएं दे रहे हैं। आस्था ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों और परिवार के अन्य सदस्यों को दिया है। उनका कहना है कि अगर सपनों को हकीकत में बदलना है, तो समर्पण, अनुशासन और धैर्य जरूरी है। असफलता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अनुभव के रूप में लेकर आगे बढ़ना चाहिए। उनकी सफलता यह भी दर्शाती है कि छोटे गांवों से निकलने वाले युवा भी यदि संकल्प लें, तो देश की सबसे कठिन परीक्षा में भी सफलता पाई जा सकती है। आज आस्था न सिर्फ एक होनहार बेटी हैं, बल्कि हजारों युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बन चुकी हैं। आस्था शरण की यह उपलब्धि साबित करती है कि दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम से कोई भी सपना असंभव नहीं है। उनका सफर यह भी बताता है कि असफलता, सफलता की पहली सीढ़ी हो सकती है, अगर इंसान में उसे स्वीकार कर दोबारा प्रयास करने का साहस हो। आस्था की यह यात्रा आने वाले कई युवाओं को अपने सपनों के पीछे भागने और उन्हें साकार करने की प्रेरणा देती रहेगी।

32 लाख की नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी शुरू की, पाई 354वीं रैंक :

एक शानदार मिसाल पेश करते हुए एक युवा ने 32 लाख रुपये के वार्षिक पैकेज की नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की तैयारी का जोखिम उठाया और मेहनत रंग लाई। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 354वीं रैंक हासिल की है। उच्च वेतन और कॉरपोरेट जीवन की सुविधा छोड़कर इस युवा ने राष्ट्र सेवा का सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की। अब यह सफलता न सिर्फ उनके लिए, बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो जीवन में बड़ा लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं। इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।

पूर्व में रही हैं आईआईटी की छात्रा, आईआईटी बीएचयू से की पढ़ाई :

संघ लोक सेवा आयोग में 354वीं रैंक हासिल करने वाली प्रतिभाशाली उम्मीदवार पहले भी शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्टता दिखा चुकी हैं। वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की पूर्व छात्रा रह चुकी हैं और उन्होंने आईआईटी बीएचयू से अपनी पढ़ाई पूरी की है। तकनीकी शिक्षा के इस प्रतिष्ठित संस्थान से स्नातक करने के बाद उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर में शानदार नौकरी हासिल की, लेकिन देश सेवा के अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने सबकुछ छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू की। आज उनकी मेहनत और लगन रंग लाई है, और वे देशभर के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं।

बधाई देने वालो का लगा तांता :

विधायक मनोज यादव, डीएफओ विकास उज्ज्वल, मुखिया हरेंद्र गोप, सामाजिक कार्यकर्ता मनोहर यादव, अरुण यादव, नागेश्वर रजक, आकाश भारतीं, नरेश यादव, शम्भू शरण समेत अन्य लोग शामिल है।

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