झारखंड के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पदभार संभालते ही अपनी कैबिनेट की पहली बैठक में स्पष्ट कर दिया चुनावी प्रचार में पार्टी ने झारखंड की जनता से जो वादे किए थे.. वह महज चुनावी नहीं थे. जिसकी पहली झलक कैबिनेट की बैठक में देखने को मिला एक झटके में झारखंड के लोगों की उम्मीदें बढ़ा दी; CNT-SPT छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम आंदोलन और पत्थलगड़ी आंदोलन में दर्ज सारे केस को वापस लेने का निर्णय ले लिया

पत्थलगड़ी मामला एक समय पूरे देश में चर्चा में आ गया था.. समझते हैं पत्थलगड़ी मामला आखिर था क्या?
पत्थलगड़ी आंदोलन पिछली सरकार की दबिश के बाद काफी हिंसक और उग्र रूप में आ गया था, पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थी. आदिवासियों ने संविधान की पांचवी अनुसूची में आदिवासियों को दिए गए अधिकारों को बड़े-बड़े पत्थरों पर लिखकर जगह-जगह जमीन में गाड़ दिए थे.. बहुत सारे लोगों पर विभिन्न थानों में आपराधिक मामले दर्ज हुए, जिसमें सामान्य लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी वर्ग भी थे कई की गिरफ्तारी भी हुई.
पत्थलगड़ी में पारंपरिक ग्राम सभाओं को सर्व- शक्तिशाली बताया गया है, जो खूंटी और पश्चिम सिंहभूम के कुछ इलाकों में प्रभावी रहा. बताया गया ग्राम सभाओं की अनुमति बगैर किसी बाहरी को प्रवेश की अनुमति नहीं है. खनन, सरकारी निर्माण में भी ग्राम सभाओं की सहमति ही मान्य है

तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उस समय कहा था हमारे झारखंड के आदिवासी काफी भोले-भाले हैं बाहरी लोग उन्हें गुमराह कर रहे हैं, बरगला रहे हैं और रघुवर दास ने भी माना था पत्थलगड़ी हमारी परंपरा रही है. यह अच्छे कामों के लिए होनी चाहिए.. हो रहे पत्थलगड़ी को असंवैधानिक करार दिया था. झारखंड नहीं पूरे देश में पत्थलगड़ी चर्चा का केंद्र बन गया. आदिवासी समाज के लिए भावनात्मक मुद्दा बन गया झारखंड विधानसभा चुनाव में भी इसका प्रभावी असर चुनावी परिणाम पर पड़ा.
बात करते हैं हेमंत सोरेन कैबिनेट के सारे फैसले जो फिलहाल पूरे झारखंड में चर्चा में है..

राज्य सरकार की विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरने की सहमति
यौन उत्पीड़न मामले की जल्द सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट (त्वरित अदालत) का गठन
अनुबंध कर्मियों,आंगनबाड़ी,सेविका,सहायिका, पारा शिक्षक, छात्रवृत्ति पेंशन संबंधित सभी लंबित मामलों का भुगतान अभिलंब कराने का निर्देश
ठंड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए गरीब वंचित के लिए कंबल ऊनी टोपी एवं सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था का सभी जिलों के उपायुक्त को निर्देश
झारखंड सरकार के प्रतिक चिन्ह के स्वरूप में बदलाव पर सहमति, प्रस्ताव आमंत्रण का निर्णय.
साथ ही स्टीफन मरांडी को प्रोटेम स्पीकर चुना गया विधानसभा का पहला सत्र 6 जनवरी 2020 से 8 जनवरी 2020 संचालित करने का फैसला. 6 जनवरी विधायकों का शपथ ग्रहण का दिन होगा.