भारत में कोरोना वैक्सीन का इजाद विश्व स्वास्थ्य जगत के लिए भी बड़ी उपलब्धि
भारतीय डॉक्टरों व स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों द्वारा भारत को कोविड-19 कोरोनावायरस महामारी संक्रमण से सुरक्षा के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया गया कोरोना वैक्सीन डोज का इजाद न केवल भारत बलिक विश्व स्वास्थ्य जगत के लिए निसंदेह व निर्विवाद रूप से एक अनूठी पहल ही नहीं चुनौतीपूर्ण उपलब्धि भी है . वही दूसरी ओर कथित स्वदेशवासियों द्वारा चाहे जिस भी परिप्रेक्ष्य व प्रयोजन में कोरोना वैक्सीन की क्षमता व उपयोगिता पर उठाए जा रहे सवाल उतना ही दुर्भाग्यपूर्ण था .
पीएम मोदी ने वैक्सीन डोज लेकर दिया सवालों का जवाब ,मिटाया दुष्प्रचार ;
पीएम मोदी द्वारा नियमों का पालन करते हुए एम्स में लिया गया कोविड-19 का वैक्सीन डोज और इसकी चर्चा सोशल मीडिया व ट्विटर पर होना कोई आश्चर्य व अचरज की बात नहीं है .इसको दूसरे नजरिए से देखा जाना ही घोर आश्चर्य का विषय जरूर है . यह कोई लुकाछिपी बात नहीं है कि भारतीय प्रोडक्ट कोविड-19 वैक्सिंग की क्षमता उपयोगिता पर प्रारंभ में सवाल दर सवाल खड़े किए गए और पीएम मोदी को पहले वैक्सीन लेने की मांग भी उठी .
पीएम मोदी ने भ्रम मिटाने के लिए प्रचारित तौर पर लिया वैक्सीन डोज
नाम चर्चा में पीएम मोदी द्वारा नियमों का पालन करते हुए प्रचारित तौर पर एम्स में लिए वैक्सीन डोज पर चाहे जो भी आलोचना व टिप्पणी हो यह इत्तर बात है , किंतु आम समझ सोच में पीएम मोदी द्वारा नियमों का पालन करते हुए वैक्सीन डोज लेने के पीछे कई अहम मकसद भी दृष्टिगोचर है. पहले खुद और देश को सुरक्षित करना और फैले दुष्प्रचार व भ्रम को मिटाकर आम लोगों को नियमों का पालन करते हुए कोविड-19 कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन डोज लेने के लिए आमजन को जागृत उत्प्रेरित व प्रोत्साहि करना दूसरी बड़ी रणनीति व मकसद प्रयोजन है . फिर इसका सोशल मीडिया न्यूज़ चैनल व ट्विटर पर हो रहा प्रचार प्रसार पर नाहक अर्थहीन सवाल खड़ा करने का प्रश्न ही कहां उठता है .
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