कोरोना वायरस जो विश्वव्यापी खतरे के रूप में भारत की तरफ भी अपने पर फैला रही है. पिछले दो-तीन दिनों में भारत में वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी. खतरे और संक्रमण बढ़ने के आसार को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण भारतवर्ष को जनता कर्फ्यू के अनुपालन का संदेश दिया.. उनके इस संदेश के बाद राजनीतिक विरोधियों विशेषज्ञों सब की विशेष नजर रही होगी.. क्या भारत नरेंद्र मोदी एक संदेश की व्यवहारिकता समझता है उसे किस रूप में में लेता है ?…..
नोवेल कोरोना वायरस पर नियंत्रण और बचाव के लिए पीएम मोदी का 14 घण्टे का जनता कर्फ्यू आह्वान का स्वतः स्फूर्त अक्षरसः अनुपालन ने साबित कर दिया कि पीएम मोदी पर देशवासियो का अटूट विश्वास भरोसा इस बदलते राजनीतिक समीकरण व परिवेश माहौल में निसंदेह बरकरार है..
पीएम मोदी के आह्वान व पुकार का अनुपालन राजनीति और सारे भावनाओं से ऊपर उठकर देशहित में मात्र जरूरी ही नही था बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों का फर्ज के साथ साथ कर्तब्य और दायित्व करार देने के जनभावना व मनोदशा का परिचायक भी था.. इसका प्रमाण बिना किसी किन्तु परंतु के 14 घँटे का जनता कर्फ्यू को मिली स्वतः स्फूर्तअदभुत व आशातीत सफलता है ,साथ ही बड़े बुजुर्गों का भी कहना व मानना है कि किसी राजनेता के आह्वान को ऐसा जन समर्थन व सम्मान मिला भी है या नहीं उन्हें याद नहीं वर्षों बाद पहली बार देखा गया..

कोरोना के खिलाफ जारी कठिन व लंबी लड़ाई में संक्रमण के बढ़ते खतरे से निपटने की कोशिश पूरे देश ने की है, पीएम मोदी के एकमात्र संदेश से एकसूत्र में बंधी देश एक दूसरे को प्रेरित करते हुए कोरोना को हराने को लेकर संकल्पित दिखी…..
